महाशिवरात्रि 2023 : Mahashivratri 2023
Published Admin |
Date: 2023-02-17
महाशिवरात्रि 2023 की तारीख 18 Feb 2023 है। यह हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो महादेव यानी भगवान शिव की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है और विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ जुटती है जो शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और शिव की पूजा करते हैं।
हेलो दोस्तों ! आप सभी को महाशिवरात्री की हार्दिक सुभकामना ! भगवान भोलेनाथ आप सभी को हमेशा खुश रखे ! आज के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती की शादी हुई थी।
महाशिवरात्रि 2023 की तारीख 18 Feb 2023 है। यह हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो महादेव यानी भगवान शिव की पूजा के लिए मनाया जाता है। यह त्योहार पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है और विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ जुटती है जो शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और शिव की पूजा करते हैं।
इस त्योहार पर, लोग उष्ट्रासन जैसी अलग-अलग पूजा विधियों का अनुसरण करते हुए शिवलिंग की पूजा करते हैं। इसके अलावा, भगवान शिव की कई अन्य पूजाओं और अभिषेक किए जाते हैं। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और शिव की भक्ति करते हुए उनके चारों तरफ धूमधाम से मनाते हैं।
महाशिवरात्रि एक पवित्र त्योहार है जिसे श्रद्धा और भक्ति से मनाया जाता है। कुछ ऐसी चीजें होती हैं जो महाशिवरात्रि के दौरान नहीं की जानी चाहिए ताकि उनका त्योहार का महत्व न गँवाया जाए।
निम्नलिखित हैं कुछ ऐसी चीजें जो महाशिवरात्रि के दिन नहीं की जानी चाहिए:
नहीं करना चाहिए अनाहार या उपवास: महाशिवरात्रि के दिन भक्तों को उपवास रखना चाहिए। हालांकि, लोग अनाहार अर्थात बिना भोजन के उपवास रखते हैं जो गलत हो सकता है। उपवास करने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना उचित होता है ताकि आप उचित तरीके से उपवास कर सकें।
धूम्रपान नहीं करना चाहिए: महाशिवरात्रि के दिन धूम्रपान करना नहीं चाहिए। यह एक अशुद्ध गतिविधि मानी जाती है जो त्योहार के महत्व को कम कर सकती है।
2023 में शिवरात्रि का सही समय स्थान और समयक्षेत्र के आधार पर भिन्न हो सकता है। हालाँकि, शिवरात्रि आमतौर पर फाल्गुन के हिंदू महीने के अंधेरे पखवाड़े के 14 वें दिन मनाई जाती है। 2023 में महाशिवरात्रि 18 Feb को पड़ रही है, जो कि शनिवार है। महाशिवरात्रि व्रत करने और पूजा करने का सबसे अच्छा समय 18 Feb की रात निशिता काल तक है। निशिता काल वह समय अवधि है जो सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच लगभग मध्य में होती है, और यह आमतौर पर रात 11:00 बजे से 12:00 बजे के बीच आती है।
महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा कई तरीकों से की जाती है। निम्नलिखित हैं कुछ आम तरीके जो महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा के लिए अनुसरण किए जाते हैं: शिवलिंग की पूजा: महाशिवरात्रि के दिन, भगवान शिव की पूजा के लिए शिवलिंग की पूजा की जाती है। शिवलिंग को जल चढ़ाकर, धूप, दीप और फल-फूल से सजाकर पूजा की जाती है। बेल पत्र और धातू की पूजा: महाशिवरात्रि के दिन, बेल पत्र और धातू की पूजा की जाती है। बेल पत्र को शिवलिंग को अर्पित करते हुए चढ़ाया जाता है और धातू की पूजा से भगवान शिव की कृपा प्राप्ति की अपेक्षा की जाती है। जागरण: महाशिवरात्रि की रात को भगवान शिव की जागरण की जाती है। इसमें भक्त रात भर जागते हुए भजन और कीर्तन करते हुए अपनी भक्ति का व्यक्त करते हैं।
शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा के दौरान विभिन्न प्रकार के भोग और सामग्री शिवलिंग को चढ़ाया जाता है। यह भोग और सामग्री भक्तों द्वारा उन्हें अर्पित किए जाते हैं और शिव के प्रति उनकी श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक होते हैं। निम्नलिखित हैं कुछ ऐसे भोग और सामग्री जो शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को चढ़ाये जाते हैं: बिल्वपत्र: शिवरात्रि के दिन बिल्वपत्र शिवलिंग को चढ़ाया जाता है। यह एक प्रकार का पत्ता होता है जो शिव के लिए विशेष महत्त्व रखता है। धातु: धातु के साथ शिवलिंग की पूजा की जाती है। धातु की पूजा से शिव की कृपा मिलने की अपेक्षा की जाती है। फल: शिवरात्रि के दिन भगवान शिव को फल चढ़ाया जाता है। इसमें केले, अंगूर, अमरूद, सेब और अन्य फल शामिल होते हैं। जल: शिव को जल चढ़ाया जाता है जो पवित्र होता है। दूध: शिव को दूध चढ़ाया जाता है।