Holi date 2023 in Hindi : होली कब,क्यों, कैसे मनाया जाता है?
Published Balindra Kumar |
Date: 2023-02-28
Holi date 2023 in Hindi : होली कब,क्यों, कैसे मनाया जाता है? होली कब मनाया जाता है? होली भारत का एक प्रमुख त्योहार है जो पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। होली को फाल्गुन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार फरवरी या मार्च के महीने में पड़ता है। इस साल होली 2023 में, होली का त्योहार 8 मार्च 2023 को मनाया जाएगा।
Holi date 2023 in Hindi : होली कब,क्यों, कैसे मनाया जाता है?
होली क्यों मनाया जाता है?
होली एक प्रसिद्द भारतीय त्योहार है जो वसंत ऋतु के आरंभ का संकेत देता है। इसे हिंदू धर्म के लोग हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनाते हैं, जो फरवरी या मार्च महीने में पड़ता है।
होली का मुख्य उद्देश्य अच्छे और बुरे के बीच समंवय बनाए रखना है। यह एक खुशी और मस्ती भरा त्योहार है जिसमें लोग रंगों से खेलते हैं, परिवार और दोस्तों के साथ मिठाई खाते हैं और एक दूसरे को गले लगाकर अपनी खुशी का इजहार करते हैं।
होली के अलावा, इस त्योहार को अनेक कहानियों से जोड़ा गया है, जैसे हिरण्यकश्यप और प्रह्लाद की कथा और कृष्ण और राधा की प्रेम कहानी। होली का उत्सव देश भर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और इसे भारत का सबसे रंगीन त्योहार माना जाता है।
होली की शुरुआत कैसे हुई?
होली की शुरुआत बहुत से पुराने काल में हुई थी और इसका अनुमान लगाया जाता है कि इसकी शुरुआत आर्यों के समय से हुई थी। इस त्योहार के विभिन्न कथाओं और लोक कथाओं के अनुसार, होली का अर्थ होता है "विष्णु का प्रह्लाद के साथ खेलना"।
कथाओं के अनुसार, हिरण्यकश्यप नाम का एक राक्षस राजा था, जो अपनी बहुत बड़ी शक्ति और विद्या से गर्व करता था। उसके बेटे प्रह्लाद, विष्णु भक्त थे और राजा के द्वारा उनका नाम बदल दिया गया था। राजा हिरण्यकश्यप की बहुत बार उनसे पूछा गया था कि कौन सा भगवान उन्हें उनकी शक्ति को हरा सकता है, लेकिन प्रह्लाद हमेशा उत्तर देते थे कि भगवान विष्णु ही उनको हरा सकते हैं।
फिर एक दिन हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को जलाने का प्रयास करने के लिए कहा। होलिका एक वरदान से सुरक्षित थी जिसने उन्हें आग से बचाया था
2023 में होली कितने मार्च का है? holi kab hai , holi kyu manaya jata hai , holi kab manaya jata hai
होली का इतिहास काफी पुराना है और इसे भारत में अनेक कहानियों से जोड़ा गया है। यह एक प्राचीन हिंदू त्योहार है जो वसंत ऋतु के आगमन का संकेत देता है। होली का प्रारंभ हिंदू धर्म के एक पुराने शास्त्र में मिलता है जिसमें प्रह्लाद नाम के एक बालक के जीवन की कहानी बताई गई है। प्रह्लाद राजा हिरण्यकश्यप का पुत्र था और उनकी माता रानी होलिका थी। राजा हिरण्यकश्यप को भगवान विष्णु से विरोध था इसलिए उन्होंने अपने पुत्र प्रह्लाद को विष्णु भक्ति से दूर रखने का प्रयास किया। लेकिन प्रह्लाद ने अपने पिता के आदेशों का पालन नहीं किया और उनकी उपस्थिति में भी विष्णु की भक्ति जारी रखी। राजा हिरण्यकश्यप ने फिर अपनी बहन होलिका की मदद से प्रह्लाद को मारने का प्रयास किया लेकिन होलिका ने अपनी छाया में बैठकर प्रह्लाद को सुरक्षित रखा। इसी परंपरा को याद रखते हुए होली में होलिका दहन का रस्म होता है।
होली का दहन होली के दूसरे दिन, जो पूर्णिमा के एक दिन पहले होता है, यानी चौथी तिथि को मनाया जाता है। यह रस्म शाम को सूर्यास्त के बाद होती है जिसमें लोग होली के उत्सव के तैयारी के लिए लकड़ियों, घास के गुच्छे और राख आदि का एक ढेर तैयार करते हैं और इसे जलाकर धूमधाम से उत्सव मनाते हैं। यह रस्म होली के महत्वपूर्ण रस्मों में से एक है और इसे हिरण्यकश्यप और होलिका की कहानी के स्मरण में किया जाता है।
भारत में होली एक प्रसिद्ध त्योहार है जो वर्षभर में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। होली का त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का उत्सव होता है जो हिन्दू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन महीने (फरवरी या मार्च) के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली के त्योहार के दौरान लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ रंगों से खेलते हैं, परसों से रंग डालते हैं और गुलाल फेंकते हैं। इसके अलावा, लोग गीत और नृत्य के साथ खुशी का इजहार करते हैं और मिठाई, नमकीन और शराब का सेवन करते हैं। इस त्योहार को दिवाली के बाद दूसरा सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है और यह पूरे भारत में मनाया जाता है। होली के त्योहार को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे फागु, फाग, दोल, दोलपूर्णिमा आदि। भारत के अलावा, होली दुनिया भर में भी मनाया जाता है और यह अन्तर्राष्ट्रीय महत्व का भी एक प्रतीक है।