रंग पंचमी कब,क्यों, कैसे और कौन मनाता है?
Published Balindra Kumar |
Date: 2023-03-06
रंग पंचमी क्या होता है? Rangpanchami Kya Hota Hai? रंग पंचमी भारत में मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है जो होली के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है और इसे उत्सव की भावना से मनाया जाता है। इस त्योहार में लोग एक दूसरे पर रंग फेंकते हैं, पानी बालू और अन्य रंगों के पाउडर का इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा, लोग मिठाई खाते हैं और एक दूसरे के साथ खुशी का जश्न मनाते हैं। रंग पंचमी को फागु पूर्णिमा भी कहा जाता है और यह उत्तर भारत के अलावा पूरे देश में मनाया जाता है।
रंग पंचमी कब है? Rangpanchami kab hai | Rangpanchami 2023 in Hindi
रंग पंचमी 2023 में, 12 मार्च को है।
रंग पंचमी कौन मनाते हैं?
रंग पंचमी हिंदू धर्म के लोग मनाते हैं। इस त्योहार को उत्तर भारत सहित पूरे भारत में मनाया जाता है। यह त्योहार सभी उम्र के लोगों द्वारा मनाया जाता है और इसमें लड़के और लड़कियों दोनों को बराबर हिस्सा दिया जाता है।
Holi date 2023 in Hindi : होली कब,क्यों, कैसे मनाया जाता है?
रंग पंचमी का महत्व क्या है?
रंग पंचमी का महत्व हिंदू धर्म में बहुत ही उच्च है। इस त्योहार का महत्व हिंदू कैलेंडर के अनुसार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने अपने रिश्तेदारों, मित्रों और परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर रंग फेंकते हैं और परस्पर दिल्लगी करते हैं।
रंग पंचमी का महत्व धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक है। इस त्योहार के माध्यम से लोग खुशी का जश्न मनाते हैं और अपने व्यक्तिगत विरासत को निभाते हैं। इसके अलावा, यह त्योहार बुराई और दुःख को दूर करने का भी संदेश देता है। इस दिन लोग भी एक दूसरे के साथ अपने संबंधों को मजबूत करते हैं और एक दूसरे के प्रति सम्मान और प्रेम दर्शाते हैं।
रंग पंचमी की पूजा कैसे करते हैं?
रंग पंचमी में पूजा का महत्व बहुत अधिक होता है। इस दिन लोग गुरुदेव को नमन करते हैं और उन्हें फूल, अखरोट, सुपारी आदि से भोग लगाते हैं। इसके बाद, पूजा के बाद भगवान की आरती उतारी जाती है।
इस दिन लोगों को गुलाल, अबीर, पंचमृत, सुपारी आदि का उपयोग करते हुए प्रत्येक दूसरे के चेहरे पर रंग लगाते हैं। लोग एक दूसरे के साथ खुशी के इस मौके पर प्रेम और मित्रता के संदेश देते हुए एक साथ नाचते हैं।
इस त्योहार में अक्सर बासंती रंगों का उपयोग किया जाता है जैसे हरा, पीला, नीला, लाल आदि। लोग इन रंगों का उपयोग खुशी का प्रतीक मानते हैं।
रंग पंचमी के दिन निम्न बातों से बचना चाहिए: नहाना: रंग पंचमी के दिन नहाना विशेष रूप से सूर्योदय से पहले नहीं किया जाना चाहिए। दूसरों को बिना अनुमति के रंग लगाना: इस दिन लोग एक दूसरे के साथ रंग लगाते हैं। लेकिन, इसे किसी के बिना अनुमति के नहीं करना चाहिए। नशीली द्रव्य पर अधिक निर्भरता: रंग पंचमी के दिन अल्कोहल या अन्य नशीली द्रव्य का सेवन नहीं किया जाना चाहिए। जगह चुनना: रंग पंचमी के दिन जगह चुनते समय सुरक्षित जगहों को चुनना बेहद आवश्यक होता है। अनुचित गाने या भाषा का उपयोग करना: इस दिन अनुचित गानों या भाषा का उपयोग करना बंद कर देना चाहिए। इन सभी बातों का पालन करना रंग पंचमी के दिन एक स्वस्थ और सुरक्षित तरीके से मनाने के लिए बेहद आवश्यक होता है।
रंग पंचमी की पूजा में निम्नलिखित सामग्री का उपयोग किया जाता है: अगरबत्ती, धूप, दीपक और मधु का प्रसाद: इन सामग्रियों को पूजा के दौरान उपयोग किया जाता है। गुलाल या अबीर: इन सामग्रियों का उपयोग रंग पंचमी की खुशी का प्रतीक बनाने के लिए किया जाता है। फल: पूजा के दौरान फलों को चढ़ाया जाता है। पान: पूजा में पान का उपयोग भी किया जाता है। फूल: फूलों का उपयोग पूजा के दौरान दीवारों और फूलों से सजावट के लिए किया जाता है। वस्त्र: पूजा में एक धातु की थाली पर वस्त्र रखा जाता है। लोटा और कलश: लोटा और कलश उपयोग किए जाते हैं
पंचमी विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों में महत्वपूर्ण तिथि होती है और इस दिन कई तरह की पूजाएं की जाती हैं। भारतीय हिंदू धर्म में, पंचमी को श्री गणेश जी की पूजा की जाती है। यह दिन श्री गणेश जी की आराधना और वंदना के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन श्री गणेश जी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है और लोग उन्हें मोदक, लड्डू, फल आदि से प्रसाद चढ़ाते हैं। इसके अलावा, पंचमी को सरस्वती देवी की पूजा के लिए भी चुना जाता है। सरस्वती देवी विद्या, ज्ञान, कला और संगीत की देवी हैं और उन्हें अपनी विद्या को समर्पित करने वाले लोग पूजते हैं। वैष्णव संप्रदाय में, पंचमी को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के बाद श्री कृष्णा की पूजा के लिए भी चुना जाता है। इसके अलावा, जैन धर्म में पंचमी को जिनेष्वर जयंती के रूप में मनाया जाता है जो तीर्थंकर जिनेश्वर की जयंती होती है।