solar eclipse in hindi : सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण क्या है और कब, क्यों, कैसे होता है?

Published Balindra Kumar |

Date: 2023-04-19

surya grahan kya hota hai in hindi : सूर्य ग्रहण एक ऐसी घटना होती है जब चंद्रमा समेत धरती और सूर्य एक सीधी रेखा पर आते हैं जिसके कारण सूर्य का पूरा या आंशिक रूप से ढला हुआ हिस्सा चंद्रमा द्वारा रोक दिया जाता है। इस प्रकार, सूर्य वास्तव में अंधेरे हो जाता है जैसे कि उसे एक अंधकार पट्टी से ढक दिया गया हो।


surya grahan kab hai : सूर्य ग्रहण के दो विभिन्न प्रकार होते हैं - आंशिक सूर्य ग्रहण और पूर्ण सूर्य ग्रहण। जब चंद्रमा सिर्फ सूर्य के ढले हुए हिस्से को ढंकता है, तब आंशिक सूर्य ग्रहण होता है जबकि जब चंद्रमा सूर्य के समस्त हिस्सों को ढंकता है, तब पूर्ण सूर्य ग्रहण होता है। सूर्य ग्रहण धरती पर एक अद्भुत दृश्य पेश करता है और इसे देखना लोगों के लिए एक अनुभव बन जाता है।

सूर्य ग्रहण कब होता है? Surya Grahan Kab Hota Hai

सूर्य ग्रहण धरती पर वर्ष में कुछ बार होता है। हालांकि, इसका आंशिक या पूर्ण होने का अवधि वर्ष और तारीख के आधार पर अलग-अलग होती है।

आमतौर पर, सूर्य ग्रहण दो बार से तीन बार एक वर्ष में होता है। हालांकि, सूर्य ग्रहण की तारीख वर्ष के अलग-अलग समयों में होती है, इसलिए संपूर्ण विश्व में सूर्य ग्रहण के समय विभिन्न होते हैं।

सूर्य ग्रहण की तारीखें अक्सर पंचांग या विज्ञान विभागों द्वारा जारी की जाती हैं। जब यह तारीखें निकट आती हैं, तो लोग इस अवसर को उत्सव मनाने और इसे अपने जीवन में एक अनुभव के रूप में शामिल करने के लिए उत्सुक होते हैं।

सूर्य ग्रहण क्यों होता है? Surya Grahan Kyu Hota Hai in Hindi

सूर्य ग्रहण धरती के और सूर्य के बीच के आकाशिक स्थान के आवरण का परिणाम होता है। सूर्य ग्रहण एक ऐसी स्थिति होती है जब चंद्रमा धरती और सूर्य के बीच में आता है और इस प्रकार सूर्य की किरणों को ब्लॉक करता है।

सूर्य ग्रहण दो तरह से हो सकते हैं - पूर्ण ग्रहण और आंशिक ग्रहण। पूर्ण सूर्य ग्रहण जब होता है जब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य को ढक लेता है और इस प्रकार धरती पर किसी भी प्रकार की सूर्य किरण नहीं पहुंचती है। आंशिक सूर्य ग्रहण जब होता है जब चंद्रमा सूर्य को केवल आंशिक रूप से ढकता है और इस प्रकार कुछ हिस्सों पर सूर्य की किरणें अभी भी पहुंचती हैं।

सूर्य ग्रहण वैज्ञानिकों और धर्मगुरुओं के लिए एक रोमांचक घटना होती है जिसे अनुभव करने के लिए लोग उत्सुक होते हैं। इसके अलावा, सूर्य ग्रहण की तारीखों का धर्म और ज्योतिष में भी विशेष महत्त्व होता है।

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चंद्र ग्रहण कैसे होता है? चंद्र ग्रहण क्यों होता है?

चंद्र ग्रहण भी सूर्य ग्रहण की तरह धरती, चंद्रमा और सूर्य के स्थानों के आधार पर होता है। चंद्र ग्रहण दो तरह से हो सकते हैं - पूर्ण ग्रहण और आंशिक ग्रहण।

पूर्ण चंद्र ग्रहण जब होता है तब चंद्रमा पूरी तरह से सूर्य से ढक जाता है और धरती पर कोई भी चंद्र किरण नहीं पहुंचती है। आंशिक चंद्र ग्रहण जब होता है तब चंद्रमा से केवल एक भाग सूर्य से ढक जाता है और इस प्रकार कुछ चंद्र किरणों का उदय होता है।

चंद्र ग्रहण की तारीखें चंद्रमा के आकार और चंद्रमा के स्थान के आधार पर निर्धारित होती हैं। जब चंद्रमा धरती के करीब होता है तब चंद्र ग्रहण की संभावना बढ़ जाती है। चंद्र ग्रहण की तारीखें सामान्य रूप से ज्योतिष के अनुसार निर्धारित की जाती हैं और इसे धर्म और ज्योतिष संबंधित उत्सवों में भी महत्व दिया जाता है।

सूर्य ग्रहण इंस्टेंस - solar eclipse instance

सूर्य ग्रहण एक घटना होती है जब चंद्रमा सूर्य के बीच से गुजरता हुआ सूर्य की किरणों को पूरी तरह से अवरोधित करता है। यह घटना जब होती है तो सूर्य की रोशनी धीमी हो जाती है और आसमान का रंग भी अलग हो जाता है। सूर्य ग्रहण दुनिया भर में देखा जा सकता है, लेकिन यह घटना किसी एक स्थान पर लम्बे समय तक नहीं रहती है। सूर्य ग्रहण दो तरह के होते हैं - आंशिक सूर्य ग्रहण और पूर्ण सूर्य ग्रहण। आंशिक सूर्य ग्रहण में सूर्य के कुछ हिस्सों को चंद्रमा ढक लेता है, जबकि पूर्ण सूर्य ग्रहण में सूर्य को पूरी तरह से चंद्रमा ढक लेता है। यह घटना देखने के लिए निश्चित समय और स्थान की जरूरत होती है।

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ग्रहण काल में भैरव साधना करने से आप भैरव देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में सफलता हासिल कर सकते हैं। निम्नलिखित तरीकों के माध्यम से आप ग्रहण काल में भैरव साधना कर सकते हैं: मंत्र जाप: ग्रहण काल में भैरव मंदिर जाएं और वहां भैरव देव की मूर्ति के सामने बैठें। उसके बाद, "ॐ भैरवाय नमः" के मंत्र का जाप करें। आप इस मंत्र को जपते हुए भैरव देव की कृपा प्राप्त कर सकते हैं। ध्यान: ग्रहण काल में भैरव देव की ध्यान करें। एक शांत जगह ढूंढें और उस पर आसन बिछा दें। उसके बाद आप अपनी आंखें बंद करें और भैरव देव के चरणों की पूजा करें। यदि आप योग्य हों तो आप उनके दर्शन भी कर सकते हैं। भैरव अर्चना: ग्रहण काल में भैरव देव की अर्चना करें। आप उनकी मूर्ति के सामने जाएं और उन्हें अपनी पसंद के फूल, धूप और दीप लगाकर पूजा करें।

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